आई डी एफ चार दिवसीय विश्व स्तरीय सम्मेलन का आयोजन ग्रेटर नोएडा स्थित एक्सपो मार्ट में प्रातः 12 सितम्बर से हो रहा है व15 सितम्बर 22 तक चलेगा।आप को बता दे किभारत में यह सम्मेलन 48 साल बाद वर्ल्ड डेयरी सम्मिट का आयोजन किया जा रहा है।सम्मेलन का उद्देश्य भारत में डेयरी उद्योग के विकास में वैश्विक पेशेवरों की दक्षता का लाभ लेना और भारतीय डेयरी उद्योग को वैश्विक मंच पर स्थापित करना है।इस आई डी एफ वर्ल्ड डेयरी समिट-2022 का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।इस डेयरी सम्मेलन में देश-विदेश के 15 सौ से अधिक दुग्ध उत्पादक व किसानों के साथ इस कारोबार एवं उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ,नीति निर्धारक और प्रमुख नामचीन कारपोरेट हाउस के प्रतिनिधि शामिल होंगे और अपने अनुभवों को साझा करेंगे।समिट में कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श से इस उद्योग से जुड़े सुझाव एवं मार्गदर्शन का हमें संदेश मिलेगा।
ज्ञायत्व रहे कि भारत में इन दिनों लगभग आठ करोड़ दुग्ध किसान हैं,जिनमें डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में बहुसंख्यक छोटे किसान शामिल हैं।इनके पास औसतन 1 से 3 पशु होते हैं जबकि भारत की तुलना में दुनिया के अन्य देशों में यह संख्या सैकड़ों में होती है। बावजूद इसके भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है और इससे जुड़े लगभग आठ करोड़ डेयरी किसानों से यह जाहिर होता है कि इस क्षेत्र में जीवन-यापन का यह एक बहुत बड़ा स्रोत है।भारत में डेयरी उद्योग के महत्व को हम इस बात से भी रेखांकित कर सकते हैं कि जहाँ स्वंय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संगम का उद्घाटन करने जा रहे हैं।इस सम्मलेन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी उद्योग मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला,वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल,कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री,विभिन्न डेयरी उद्योग के महाप्रबंधक और देश-विदेश से आए विशिष्ट मेहमान यहां विचार मंथन करेंगे।इसमें कमाई और रोजगार की संभावना के ऊपर चर्चा होगी।दुग्ध क्षेत्र में एक बार फिर मुकम्मल क्रांति का आह्वान किया जाएगा।राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष शाह के मुताबिक यह सम्मेलन दुग्ध विकास के क्षेत्र में ऐतिहासिक और शानदार होने वाला है जो विभिन्न बिंदुओं पर गौर करते हुए मील का पत्थर साबित होगा। जलवायु के अनुकूल डेयरी उद्योग का विकास करना इसका मुख्य उद्देश है,साथ ही पोषण और आजीविका पर भी इसमें चर्चा की जाएगी।गौरतलब है कि हिंदुस्तान के दुग्ध उत्पादन का आकलन इस बात से समझा जा सकता है कि या कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान करता है और इसकी प्रोडक्शन वैल्यू 9.3 लाख करोड़ रुपए प्रति वर्ष है।
दुनिया में डेयरी क्षेत्र में विकास दर 2 प्रतिशत है।जबकि भारत में यह दर 6 प्रतिशत है लेकिन आने वाले समय में भारत में इस क्षेत्र में विकास दर और बढ़ेगी. इस समय भारत दुनिया में दुग्ध उत्पादन में नंबर एक पर है। हमारा उत्पादन 21 करोड़ टन है. दुनिया में दूध की उपलब्धता प्रति व्यक्ति् 310 ग्राम प्रतिदिन है। जबकि हमारे यहां पर 427 ग्राम प्रति दिन है ।यह एक बड़ी उपलब्धि है।हमारे देश में डेयरी उद्योग सामुदायिक या कॉपरेटिव है।इससे बड़े स्तर पर रोजगार और स्वरोजगार भी सृजित हो रहे हैं।इस पर प्रकाश डालते हुए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमेन और आइ डी एफ के इंडियन नेशनल कमेटी के सदस्य सचिव शमीनेश शाह का कहना है कि हमारे देश में डेयरी उद्योग कितना महत्वपूर्ण है।इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस उद्योग में आठ करोड़ किसान जुड़े हुए हैं।हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही ग्रामीण स्तर पर लाखों रोजगार भी सृजित करता है।ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्ल्ड डेयरी सम्मिट भारत के लिए कितना अहम भुमिका है।इस उद्दोग से ना केवल किसान बल्कि भूमिहीन किसान भी दुग्ध क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।हमारे देश में दूध के काम से हजारों लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंधित हैं। यही वजह है कि इस इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन की थीम लाइवलीहुड एंड न्यूट्रिशन रखी गई है।इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हमारे यहां पर किसानों के लिए दूध जीवन यापन का साधन भी है।यह उनकी आमदनी का स्त्रोत भी है।इस सम्मेलन में करीब 40—45 देश के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।डेयरी उद्योग के जानकारों का मानना है कि दूध की उपयोगिता आम आदमी के जीवन पौष्टिकता के कई स्त्रोत होते हैं।भारत में एक बड़ी आबादी शाकाहारी है।ऐसे में उनके लिए दूध और उससे बने पदार्थ पौष्टिकता के लिए काफी अहमियत रखते हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना के बाद इंटरनेशनल डेयरी फैडरेशन का पहला फिजिकल कार्यक्रम है।इससे पहले फिजिकल कार्यक्रम इस्तानाबुल में वर्ष 2019 में हुआ था।इस सम्मिट के दौरान भारत वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे पेशेवरों और इंटरनेशनल डेयरी फैडरेशन के अनुभव और कार्य दक्षता का लाभ हासिल करेगा। हम इस सम्मिट से विश्व स्तर पर डेयरी क्षेत्र में हो रहे बदलाव से सीखने का कार्य करेंगे।इसके साथ ही हम अपने देश के डेयरी क्षेत्र के बेहतरीन कार्यों—गुण को दुनिया के सामने भी रखेंगे। जिससे वैश्विक स्तर पर भारत के समझौते होने की संभावना और बढ़े।डेयरी क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है।हम जितनी खपत करते हैं।उतना हम अपने देश में ही बनाने में सक्षम हैं।राष्ट्रीय डेयरी योजना का कार्यान्वयन
भारत विश्व में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है।वर्ष 2010-11 में भारत का कुल दूध उत्पादन 12.18 करोड़ टन रहा।
योजना आयोग के अनुमान एवं सकल घरेलू उत्पाद की लगातार उच्च वृद्धि के कारण हुए सुधार के पश्चात् यह संभावना है कि दूध की मांग 2016-17 तक(12वीं पंचवर्षीय योजना का अंतिम वर्ष) लगभग15.5 करोड़ टन तथा 2021-22 तक लगभग 20 करोड़ टन होगी।दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले 15 वर्षों में वार्षिक वृद्धि को 4 प्रतिशत से अधिक रखना आवश्यक है।
हम सभी को इस अर्न्तराष्ट्रीय डेयरी सम्मेलन से बहुत आशा व उम्मीदें है।खैर यह कहते हुए आप से विदा लेते है
ना ही काहूँ से दोस्ती।
ना ही काहूँ से बैर॥
खबरी लाल तो मांगे।
सबकी खैर ॥
फिर मिलेगें तीरक्षी नजर से ‘ तीखी खबर के संग् ।
विनोद तकिया वाला
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