दिल्ली हाट में तीन दिवसीय कमलम (ड्रैगन फ्रूट) महोत्सव का शुभारंभ, गुजरात सरकार ने किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने की पहल की
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देश में कमलम के उत्पादन में 35% हिस्सेदारी गुजरात की, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, रूस और इंग्लैंड को करता है निर्यात
नई दिल्ली: गुजरात सरकार दिल्ली हाट में 14-16 अक्टूबर को बीच तीन दिवसीय कमलम (ड्रैगन फ्रूट) उत्सव का आयोजन कर रही है, जिसमें गुजरात के 22 किसान भाग ले रहे हैं। आज दिल्ली हाट में नेफेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री राजबीर सिंह और रेज़ीडेंट कमिश्नर श्रीमती आरती कंवर ने गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी श्री डी.के. पारेख की उपस्थिति में रिबन काटकर इस महोत्सव का शुभारंभ किया। इसके साथ ही, कमलम को दिल्ली में नैफेड के विभिन्न आउटलेट्स में भी बेचा जाएगा।
यह महोत्सव कमलम फल की खेती करने वाले किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ेगा। इस प्रकार, गुजरात सरकार किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़कर यह अवसर प्रदान कर रही है।
कमलम फल को ड्रैगन फ्रूट, पपीता फल, सुपर फ्रूट, कैंसर फ्रूट के रूप में भी जाना जाता है और यह कैक्टस प्रजाति का फल है। गुजरात सरकार द्वारा जनवरी, 2021 में ड्रैगन फ्रूट का नाम बदलकर कमलम कर दिया गया था क्योंकि इस फल के कांटे और पत्ते कमल के फूल की तरह होता है।
भारत में, कमलम फलों की खेती गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में की जाती है। कमलम फलों के उत्पादन में गुजरात 35% हिस्से के साथ सबसे आगे है। उत्तरी गुजरात, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के किसानों में इसकी खेती और उत्पादन की रुचि तेजी से बढ़ी है।
गुजरात राज्य इस फल का आयात करता था लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है और गुजरात कमलम का निर्यात कर रहा है। राज्य के लगभग 25 जिलों के किसान इस फल का उत्पादन कर रहे हैं और उनकी वार्षिक आय में काफी वृद्धि देखी गई है।
इसके स्वाद, पोषण और औषधीय गुणों के कारण कमलम फल की मांग बढ़ी है जिसके परिणामस्वरूप गुजरात में इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है। अनुकूल पानी, मिट्टी, मौसम और सरकार के सहयोग से गुजरात आज कमलम फल का हब बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2020 में अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में गुजरात के मरूस्थल कच्छ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती का भी ज़िक्र करते हुए वहां के किसानों की प्रशंसा भी की थी।
राज्य सरकार इस फल को उगाने के लिए किसानों को सब्सिडी भी देती है। गुजरात में जून से नवंबर तक इसकी कटाई का मौसम होता है। गुजरात में, कमलम की खेती में कच्छ जिला सबसे आगे हैं। गुजरात, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, रूस और इंग्लैंड में कमलम फलों का निर्यात करता है।
गुजरात सरकार इस क्षेत्र में गुजरात सरकार की योजनाओं के साथ भारत सरकार की फ्लैगशिप योजना पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज स्कीम (पीएमएफएमईएस) के प्रमुख कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए फलों के प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने का इरादा रखती है।
कमलम अपने औषधीय और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। कमलम फल में बहुत कम कैलोरी में होती है और यह आयरन, कैल्शियम, जिंक, पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों से भी लैस होता है। इसमें मौजूद बिटालेन और बीटासायनिन के कारण इसका फल का रंग आकर्षक होता है। यह कैंसर, मधुमेह, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक है। कमलम फल के बीज विटामिन-सी और फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। अपने इन सभी गुणों के कारण ही कमलम की मांग भारत समेत दुनिया भर में है।
कमलम फल के कई अन्य वैल्यू एडेड उत्पाद भी हैं जैसे कमलम फ्रूट कैंडीज, कमलम फ्रूट स्प्रे, कमलम फ्रूट एयर फ्रेशनर, कमलम फ्रूट परफ्यूम, कमलम फ्रूट फेस वाश, कमलम फ्रूट जेली, कमलम फ्रूट चिप्स, कमलम फ्रूट जूस, कमलम फ्रूट आइसक्रीम आदि।
कमलम महोत्सव के दौरान दिल्ली हाट में कच्छ के प्रमुख कलाकार कच्छी संगीत भी प्रस्तुत करेंगे।
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