November 23, 2024

प्रधानमंत्री 04 मार्च, 2022 को नई दिल्ली में ‘सतत विकास के लिए ऊर्जा’ विषय पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए।

PM addressing at a webinar on ‘Energy for Sustainable Growth’, in New Delhi on March 04, 2022.

Energy for Sustainable Growth’, ये हमारी पुरातन परंपराओं से भी प्रेरित है और भविष्य की आवश्यकताओं-आकांक्षाओं की पूर्ति का मार्ग भी है। भारत का clear vision है कि Sustainable Growth, Sustainable Energy Sources से ही संभव है। ग्लास्गो में हमने 2070 तक नेट-जीरो के स्तर तक पहुंचने का वादा किया है।

मैंने Cop-26 में Sustainable Lifestyle को बढ़ावा देने के लिए भी LIFE मिशन की बात कही थी, यानी Lifestyle For Environment का विजन सामने रखा था।  हम इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसे ग्लोबल collaboration का भी नेतृत्व कर रहे हैं। Non-Fossil Energy Capacity में हमारा टार्गेट अपने लिए 500 गीगावॉट है। 2030 तक अपनी Installed Energy Capacity का 50 percent हमें Non-Fossil Energy से हासिल करना है। भारत ने अपने लिए जो भी टार्गेट सेट किए हैं, उसे मैं चैलेंज की तरह नहीं बल्कि Opportunities की तरह देखता हूं। इसी vision पर भारत बीते वर्षों से चल रहा है और इस बजट में इनको policy level पर और आगे बढ़ाया गया है।

Friends,

इस बजट में सोलर एनर्जी की दिशा में High-Efficiency Solar Module Manufacturing के लिए साढ़े 19 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की गई है। इससे Solar Modules और इससे जुड़े प्रॉडक्ट्स की Manufacturing और R&D में भारत को ग्लोबल हब बनाने में मदद मिलेगी।

साथियों,

हमने नेशनल हाइड्रोजन मिशन की भी घोषणा की है। भारत के पास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध Renewable Energy Power के रूप में एक Inherent Advantage है। इससे भारत विश्व में Green Hydrogen का हब बन सकता है। Hydrogen Eco-System फर्टिलाइजर, रिफाइनरीज और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर से Inter-Connected है। ये एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें Private Sector द्वारा Innovations को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि भारत की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके।

साथियों,

Renewable Energy के साथ एक बड़ा Challenge Energy Storage को लेकर भी है। इसके लिए भी Solutions तलाशने के लिए बजट में Storage Capacity में Growth को बनाये रखने के लिए बड़ी priority दी गयी है। इस वर्ष के बजट में Battery Swapping Policy और Inter Operability Standards के बारे में भी Provision किये गए हैं। इनसे भारत में Electric Vehicle के इस्तेमाल में आने वाली दिक्कतें कम होंगी। Plug-In चार्जिंग में ज्यादा समय और ज्यादा कीमत लगती है। क्योंकि Electric Vehicle की कीमत में 40-50 परसेंट बैटरी की कीमत होती है, इसलिए swapping से  Electric Vehicle की Upfront Cost कम हो जाएगी। ऐसे ही चाहे मोबाइल की बैटरी हो या फिर सोलर पावर स्टोरेज, इस क्षेत्र में भी बहुत सी संभावनाएं हैं। इन पर भी मैं समझता हूं हम सब मिल कर काम कर सकते हैं।

साथियों,

Sustainability के लिए Energy Production के साथ ही Energy Saving भी उतनी ही आवश्यक है। हमारे देश में और अधिक Energy Efficient A/C कैसे बनें, और अधिक Energy Efficient हीटर, गीजर, Oven कैसे बनें, इस बारे में बहुत कुछ करने की आवश्‍यकता मुझे लगती है। जहां भी बिजली की खपत ज्यादा है, वहां Energy Efficient Products का निर्माण हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए।

मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। जब 2014 में हमारी सरकार आई, तो देश में LED बल्ब की कीमत 300-400 रुपए हुआ करती थी। हमारी सरकार ने LED बल्ब का प्रोडक्शन बढ़ाया और प्रॉडक्‍शन बढ़ने के बाद स्‍वाभाविक था कि इसकी कीमत 70-80 रुपए तक नीचे आईं। उजाला योजना के तहत हमने देश में करीब-करीब 37 करोड़ LED बल्ब बांटे। इससे लगभग Forty Eight Thousand Million Kilo Watt Hour बिजली बची है। हमारे गरीब और मध्यम वर्ग का सालाना करीब 20 हजार करोड़ रुपए का बिजली बिल भी बचा है। और प्रतिवर्ष करीब 4 करोड़ टन कार्बन एमिशन कम हुआ है। हमने परंपरागत स्‍ट्रीट लाइट्स को भी सवा करोड़ स्मार्ट LED बल्बों से बदला है, उससे भी हमारे जो स्‍थानीय निकाय हैं, नगर पालिका, महानगर पालिका, जहां पंचायतों में इस प्रकार की स्‍ट्रीट लाइट हैं, अब तक जितना काम हुआ है उसमें साल का 6 हजार करोड़ रुपये के बिजली के बिल में बचत हुई है, नगर पालिकाओं को। इससे भी बिजली बची है, और करीब 50 लाख टन कार्बन एमिशन भी कम हुआ है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इस एक योजना ने पर्यावरण की कितनी बड़ी रक्षा की है।

साथियों,

Coal Gasification कोयले के एक विकल्‍प के रूप में हम सोच सकते हैं। इस साल के बजट में Coal Gasification के लिए 4 Pilot projects रखे गए हैं जिसमें technical और Financial Viability प्राप्त करने को बल मिलेगा। और इसमें इनोवेशन्‍स की जरूरत है। और मैं चाहता हूं कि इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग Coal Gasification को भारत की आवश्‍यकता के अनुसार इसमें इनोवेशन के साथ कैसे आ सकते हैं, इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए।

ऐसे ही आप देखते हैं एक बड़े मिशन मोड में सरकार Ethanol Blending को भी निरंतर बढ़ावा दे रही है। इस बजट में Unblended Fuel पर Extra Differential Excise Duty का Provision किया गया है। हमें अपनी Sugar Mills और Distilleries को और अधिक आधुनिक बनाने की जरूरत है। इसमें भी technology up gradation आवश्‍यक है। इसके लिए हमें ऐसे Distilling Processes पर काम करना होगा जिनसे Potash और Compressed Bio-Gas जैसे By-Products भी हमें अतिरिक्‍त प्राप्त हों।

कुछ सप्ताह पहले मैंने वाराणसी में और अभी कुछ दिन पहले इंदौर में भी गोबरधन प्‍लांट का उद्घाटन किया है। क्या अगले 2 साल में देश में 500 या 1000 ऐसे गोबरधन प्लांट प्राइवेट सेक्टर द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं। इंडस्ट्री को इसी तरह इन Possibilities को Utilize करने के लिए Innovative Investments करने की जरूरत मुझे लगती है।

Friends,

हमारी Energy Demand लगातार बढ़ने वाली है। इसलिए, Renewable Energy की ओर Transition भारत के लिए और भी अहम है। एक अनुमान है कि भारत में 24-25 करोड़ घर हैं। हम Clean-Cooking को कैसे कैसे आगे बढ़ाएँ। मैं समझता हूं, हमारे स्‍टार्टअप के लोग भी इस काम को बड़ी आसानी से आगे बढ़ा सकते हैं। आपके लिए Solar चूल्हे के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा मार्केट है, जो Clean-Cooking Movement के लिए जरूरी है। आपने देखा होगा, गुजरात में एक सफल प्रयोग हुआ था, पानी की जो कैनॉल्‍स हैं, नहर हैं, उस पर हमने सोलर पैनल लगाईं, जमीन का खर्चा बच गया, पानी की बचत हो गई, बिजली भी उत्‍पादन हुई, यानी Multiple Benefit हुए। ऐसा ही प्रयोग अब देश में अन्य जगहों पर नदियों और झीलों में भी किया जा रहा है। हमें इसको भी और ज्यादा बढ़ाना चाहिए।

एक और काम, घरों में किया जा सकता है। घर में जहां बाग-बगीचा होता है, या फिर बालकनी होती है, क्‍या हम जो Gardening Concept है, उसमें एक सोलर ट्री. हर परिवार का अपना एक सोलर ट्री हो वैसा एक नया Concept डेवलप कर सकते हैं, जो घर की 10-15 परसेंट, 20 परसेंट बिजली में वो सोलर ट्री मदद कर सकते हैं। और घर की पहचान भी बन जाएगी कि भई ये सोलर ट्री वाला घर है, यानी एनवायरमेंट के प्रति जागरूक नागरिकों का घर है। एक समाज में विशेष Credible Society के रूप में हम डेवलप हो सकते हैं। और इसको बड़ा Easily और Beautiful भी बनाया जा सकता है। तो सोलर ट्री के कंसेप्‍ट को मैं तो हमारी जो कंस्‍ट्रक्‍शन की दुनिया के लोग हैं, बिल्‍डर लोग हैं और आर्किटेक्‍चर हैं, उनसे भी मैं कहूंगा कि घर के कंस्‍ट्रक्‍शन में एक नया तरीका हम जोड़ सकते हैं क्‍या।   

हमारे देश में माइक्रो हाइडल प्रॉडक्ट्स भी बहुतायत में मिलते हैं। उत्तराखंड-हिमाचल में हम देखते हैं घराट नाम की पनचक्की बहुत होती है। माइक्रो हाइडल प्रॉडक्ट्स पर और रिसर्च करके हम इनके इस्तेमाल से बिजली उत्पादन कैसे बढ़ा सकते हैं, इस पर भी काम किया जाना चाहिए। दुनिया में हर प्रकार की प्राकृतिक संपदा की, Natural Resources की Shortage होती जा रही है। ऐसे में सर्कुलर इकोनॉमी समय की मांग है और इसको जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना ही पड़ेगा। हमारे लिए हर क्षेत्र में Innovation बहुत जरूरी है, नए Products जरूरी हैं, और मैं देश के प्राइवेट सेक्टर को भरोसा देता हूं कि सरकार आपके प्रयासों में आपके साथ खड़ी है।

हम एकजुट प्रयासों से इस दिशा में न केवल अपने लक्ष्य हासिल करेंगे, बल्कि पूरी मानवता का भी पथप्रदर्शन करेंगे।

साथियों,

मैं ये भी कहना चाहूंगा कि आमतौर पर बजट बनने से पहले बहुत चर्चाएं होती हैं। हमारे टीवी चैनल्‍स वगैरह सब उसमें काफी बिजी होते हैं, एक अच्‍छा मंथन होता है और उसका बजट को भी थोड़ा लाभ होता है। बजट बनाने में काफी अच्‍छे-अच्‍छे आइडियाज मिलते हैं। लेकिन अब हमने फोकस किया है, चलो बजट बन गया, अब बजट में कोई परिवर्तन होना नहीं है। पार्लियामेंट की वो अमानत होती है, पार्लियामेंट तय करती है। हमारे पास दो महीने का समय होता है। बजट implement करने के लिए एक अप्रैल से़। इस दो महीने का उपयोग हम implementation के रोडमैप पर बल कैसे दें और योजना अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कैसे हम लागू करें। बजट का अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से उपयोग कैसे करें।

सरकार के सोचने का तरीका और फील्‍ड में काम करने वाले व्‍यापार जगत के तरीके में काफी अंतर होता है। इस सेमिनार से उस अंतर को पाटने को प्रयास हो। जो स्‍टेक होलडर्स हैं उनकी thinking process और सरकार में जो निर्णय करते हैं उनकी thinking process, उसमें अंतरविरोध नहीं होना चाहिए। उसमें फासला भी नहीं होना चाहिए। अगर ये होता है तो चीजें बहुत जल्‍दी लागू होती हैं। कभी-कभार एकाध वाक्‍य ऐसा आ जाता है फाइल में कि फिर उसको correct करने में 6-6, 8-8 महीने लग जाते हैं। बजट का टाइम ही पूरा हो जाता है।

हम इन गलतियों से बचना चाहते हैं। और इसलिए ये जो हम वेबिनार कर रहे हैं, उसमें हम सरकार की तरफ से आपको ज्ञान परोसने के लिए नहीं कर रहे हैं। हम बजट क्‍या है वो समझाने के‍ लिए नहीं कर रहे हैं, हम से ज्‍यादा समझ आप समझ चुके हैं। हम आपको सुनने के लिए वेबिनार करते हैं और सुनने में भी बजट के लिए सुझाव नहीं, जो बजट बन चुका है उसको इस क्षेत्र में हम लागू कैसे करेंगे, जल्‍दी से जल्‍दी लागू कैसे करेंगे, ज्‍यादा से ज्‍यादा outcome के साथ हम कैसे आगे बढ़ेंगे। हमारी ऐसी कोई व्‍यूह रचना न बन जाए जो बिना कारण समय खराब करे दे और इसलिए तेज गति लाने के लिए मैं चाहता हूं कि आप लोग concrete practical example और suggestions के साथ इस वेबिनार को सफल बनाएं।

मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।